* क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे महँगी जमीन खरीदने वाला आदरणीय टोडरमल जैन था *
* क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे गंध ज़मीन कहां पर है? *
* आज तक किसी एक भूमि के टुकड़ों का सबसे अधिक मूल्य चुकाया गया है वह हमारे भारत में ही पंजाब में स्थित सिरहिन्द में, और, विश्व की इस सबसे दर्दनाक भूमि को ख़रीदने वाले महान व्यक्ति का नाम था दीवान टोडरमल जी जैन *
* गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे-छोटे साहिबज़ादों बाबा फ़तह सिंह और बाबा ज़ोरावर सिंह की शहादत की दास्तान शायद आप सबने कभी ना कहीं कहीं ना कहीं से सुनी होगी ..... यहीं सिरहिन्द की फ़तहगढ़ साहिब में मुग़लों के तत्कालीन फौजदार वज़ीर खान ने दोनो साहिबज़ादों को जीवित ही दीवार में चिनवा दिया था। *
* दीवान टोडर मल जी जैन, जो कि इस क्षेत्र के एक धनी व्यक्ति थे और गुरु गोविंद सिंह जी और उनके परिवार के लिए अपना सब कुछ क़ुर्बान करने को तैयार थे। उन्होंने वज़ीर खान से साहिबज़ादों के पार्थिव शरीर की पसंद की, और वह भूमि, जहाँ वह शहीद हुए थे वहाँ पर उनकी अंत्येष्टि करने की इच्छा प्रकट की ....। वज़ीर खान ने धृष्टता दिखाते हुए भूमि देने के लिए एक अटपटी और अनुचित पसंद रखी .... *।
* वज़ीर खान ने पसंद किया कि इस भूमि पर सोने की मोहरें बिछाई जायें क्योंकि मोहरें आएँगी उसी तरह इस भूमि का मूल्य होगा ....... *
* दीवान टोडर मल जी जैन ने अपने सब भंडार ख़ाली करके जब मोहरें भूमि पर बिछानी शुरू कीं तो वज़ीर खान ने धृष्टता की पराकाष्ठा पार करते हुए कहा कि मोहरें बिछा कर नहीं बल्कि ढेर कर दिया गया है ताकि अधिक से अधिक मोहरों का संस्कार हो सके ।। ........ ख़ैर ..... दीवान टोडर मल जी जैन ने अपना सब कुछ कम-बाच कर और मोहरें इकट्ठी कीं और 78000 सोने की मोहरें देकर चार गज़ भूमि को ख़रीदा ताकि गुरु जी के साहिबज़ादों के अंतिम संस्कार वहाँ संभव हो गया ...... *
* विश्व के इतिहास में ना तो ऐसे बलिदान की कहीं कोई और मिसल मिलती है ना ही कहीं पर किसी भूमि के टुकड़ों का इतना भारी मूल्य कहीं और आज तक गया था। *
* जब बाद में गुरु गोविन्द सिंह जी को इस बारे में पता चला तो उन्होंने दीवान टोडर मल जी जैन से कृतज्ञता प्रकट की और उनसे कहा कि वे उनके त्याग से बहुत प्रभावित हैं, और उन्हें इस बलिदान के बदले में कुछ सकारात्मकता ने कहा। *
* ज़रा सोचिए, दीवान टोडर मल जी जैन ने क्या माँगा होगा गुरु जी से ???? * ???
* दीवान जी ने गुरु जी से जो माँगा उसकी कल्पना करना भी असम्भव है! *
* दीवान टोडर मल जी जैन ने गुरु जी से कहा कि यदि कुछ देना ही चाहते हैं तो कुछ ऐसी वर कृपया की मेरे घर पर कोई पुत्र ना जन्म ले और मेरी वंशावली यहीं मेरे साथ ही समाप्त हो जाए। *
* इस अप्रत्याशित समीक्षाओं पर गुरु जी सहित सब लोग हसेस-बसेस बने रहे ..... गुरु जी ने दीवान जी से इस अद्भुत पसंद का कारण पूछा तो दीवान जी का उत्तर ऐसा था जो रोंगटे खड़े कर दे। *
* दीवान टोडर मल जैन ने उत्तर दिया कि गुरु जी, यह जो जमीन इतनी महंगी कीमत देकर ख़रीदी गयी और आपके चरणों में न्योछावर की गयी मैं नहीं चाहता कि कल को मेरे आने वाली नस्लों में से कोई कहे कि यह भूमि उसके कछुओं ने ख़रीदी है। । *
* यह निस्वार्थ त्याग और भक्ति की आज तक की सबसे बड़ी मिसाल थी .......। *
* आज किसी धार्मिक स्थल पर चार ईंटे लगवाने पर भी लोग अपने नाम की पट्टी पहले लगवाते हैं ..... "एक पंखा तक लगवाने पर उसके परों पर अपने नाम छपवाते हैं"। *
* हमारे सूरके जो जो बलिदान देकर गए हैं वह उत्साहित है और इन्ही बलिदानों के कारण ही हम लोगों का अस्तित्व अभी तक है ...... हमारी इतनी औक़ात नहीं कि हम इस बलिदान के हज़ारवें हिस्से का भी ऋण उतार सकें। *
* त्याग और बलिदान की इस गाथा, जिसे हमारे गौरवशाली इतिहास से गायब कर दिया गया है, अधिक से अधिक लोगों के साथ शेयर करेंगे और अपने पुरखों का मान-सम्मान बढ़ाइए .....। *
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