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इटली ने किया मृत कोरोना मरीज का पोस्टमार्टम, तो हुआ बड़ा खुलासा
इटली विश्व का पहला देश बन गया है जिसनें एक कोविड -19 से मृत शरीर पर अटोप्सी (पोस्टमार्टम) किया और एक व्यापक जाँच करने के बाद पता लगाया गया है कि वायरस के रूप में को विभाजित -19 मौजूद नहीं है, बल्कि सभी के बहुत बड़े हैं ग्लोबल स्कैला है। लोग मूल रूप से "ऐमप्लीफाईड ग्लोबल 5G यमोमैगनेटिक रेडिएशन (ज़हर)" के कारण रहे हैं।
इटली के डॉक्टरों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के कानून का उल्लंघन किया है, जो कि DonaIDS से मरने वाले लोगों के मृत शरीर पर आटोप्सी (पोस्टमार्टम) करने की आज्ञा नहीं देता है ताकि किसी तरह की वैज्ञानिक खोज व पड़ताल के बाद ये पता चले। ना लगाया जा सकता है कि यह एक वायरस नहीं है, बल्कि एक बैक्टीरिया है जो मौत का कारण बनता है, जिस की वजह से नसों में ख़ून की गाँठें बन जाती हैं यानि इस बैक्टीरिया के कारण ख़ून नसों और नाड़ियों में जम जाते हैं और यही मरीज़ है की मौत का कारण बन जाता है।
इटली ने इस वायरस को लिंग है, ओर कहा है कि "फैलीआ-इंट्रावासुलरर कोगूलेशन (थ्रोम्बोसिस) के इलावा और कुछ नहीं है और इस का मुक़ाबला करने का तरीका आर्थात इलाज़ ने बताया है ... ...
ऐंटीबायोटिक (एंटीबायोटिक्स टैबलेट)
ऐंटी-इंन्फ़्लेमटरी (एंटी-इन्फ्लमेंट्री) और
ऐंटीकोआगुलैटस (एस्पिरिन) को लेने से यह ठीक हो जाता है।
ओर यह संकेत करते हैं कि इस बीमारी का इलाज़ सम्भव है, विश्व के लिए यह संनसनीख़ेज़ ख़बर इटालियन डाक्टरों द्वारा को विभाजित -19 वायरस से मृत प्राणियों की आटोप्सीज़ (पोस्टमार्टम) तैयार हो गया है। कुछ और इतालवी वैज्ञानिकों के अनुसार वेन्टीलेटर्स और इंसैसिव कैर यूनिट (आईसीयू) की कभी जरूरत ही नहीं थी। इस के लिए इटली में अब नया शीरे से प्रोटोकॉल जारी किया गया है।
चीन इसके बारे में पहले से ही जानता था, लेकिन इसकी रिपोर्ट कभी किसी के सामने उसने सार्वजनिक नहीं की थी।
पृष्ठ इस जानकारी को अपने पूरे परिवार, पड़ोसियों, जानकारों, दोस्तों, सहकर्मीओं को साझा करें ताकि वे को विभाजित -19 के डर से बाहर निकल सकें ओर उनकी यह समझ मे आये कि यह वायरस बिल्कुल नहीं है लेकिन एक बैक्टीरिया मात्र है जो 5G रेडिएशन के कारण कारण उन लोगो को नुकसान हो रहा है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम है। यह रेडियेशन इन्फलामेशन और हाईपौकसीया भी पैदा करता है। जो लोग भी इस की जद में आ जा रहे हैं उन्हें Asprin-100mg और ऐरोपोनिकस या पैरासिटामोल 650,000.com चाहिए। क्यों ... ??? … .क्योंकि यह सामने आया है कि कोविड -19 ख़ून को जमा देता है जिससे व्यक्ति को थ्रोमोबिस पैदा होता है और जिसके कारण ख़ून नसों में जम जाता है और इस कारण मस्तिष्क, दिल व फेफ को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती जिसके कारण व्यक्ति को। सांस लेने में कठिनाई होने लगती है और सांस ना आने के कारण व्यक्ति की उछाल से मौत हो जाती है।
इटली के डॉक्टर्स ने WHO के प्रोटोकॉल को नहीं माना और उन शिष्यों पर आटोप्सीज़ किया जिनकी मृत्यु को विभाजित -19 की वजह से हुई थी। डॉक्टरों ने उन बच्चो की भुजाओं, टांगों ओर शरीर के दूसरे हिस्सों को खोल कर सही से देखने व दिखानेने के बाद महसूस किया कि ख़ून की नस-नाड़ियां फैली हुई हैं और नसें थ्रोम्बी से भरी हुई थी, जो ख़ून को आमतौर पर बहने से रोकती हैं। है और आकसीजन के शरीर में प्रवाह को भी कम करती है जिसके कारण रोगी की मौत हो जाती है। रिसर्च को जान लेने के बाद इटली के स्वास्थ्य-मंत्रालय ने तुरंत कोविड -19 के इलाज़ प्रोटोकॉल को बदल दिया और अपने पोज़िटिव मरीज़ो - एस्पिरिन 100mg और एंप्रोमैकस देना शुरू कर दिया। जिससे मरीज़ ठीक होने लगे और उनकी सेहत में सुधार नज़र आने लगा। इटली के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक ही दिन में 14000 से बहुत अधिक मरीज़ों की छुट्टी कर दी और उन्हें अपने घरों को भेज दिया।
स्रोत: इटली स्वास्थ्य मंत्रालय